कुछ बातें, अनकही।


तुमने कहा था की तुम आओगी,
मेरे लिए नहीं तो, उनके लिए ही सही।
मुझे पता था की तुम अपना वादा,
पूरा करोगी, अपने लिए नहीं तो-
सिर्फ उनके लिए ही सही।
वो दिन चार, वो सपने हज़ार,
ना जाने, कब से-
तुम मेरे सपनो को संजोयी हो।
मै तुम्हारे लिए बहुत मायने रखता,
उतने ही जितने तुम मेरे लिए रखती।
लेकिन बेखबर इस ज़िन्दगी की राह पर,
उन काँटों ने हमें बिखेर दिया।
आज जब तुम, मुझसे नफरत करती हो,
उसी वक़्त तुम प्यार भी करती हो उनसे।
मेरे लिए तुम्हारी नफरत,
उनके प्यार से बढ़कर तो नहीं,
की तुम हमेशा के लिए छोड़ कर चली जाती उन्हें।
मुझे पता था की तुम आओगी,
मेरे लिए नहीं तो उनके लिए ही सही।
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गगनदीप सिंह वैद


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